Tuesday, December 22, 2009

क्या कुदरत की यही रज़ा है,
या मेरे किसी गुनाह की सजा है?
के जब लगा हमें मिल गया किनारा,
तभी बदकिस्मती ने सीने में खंजर है उतारा...

Friday, December 4, 2009

ज़िन्दगी ये किस मोड़ पर ले आई है,
जहाँ शाम-ओ-सहर सिर्फ़ एक तनहाई है,
तुझसे एक यार ही तो माँगा था ऐ रब,
उसी में तुने मुझे दी उम्र भर की रुसवाई है??

Tuesday, November 17, 2009

नाराजगी तुम्हारी हम सह न पाएँगे,
अभी तो जिंदा हैं, दो शब् न रह पाएँगे,
दो दिन की दूरी ने कर दिया है दीवाना हमको,
चार दिन में तो कब्रिस्तान पोहोंच जाएँगे..

Friday, October 9, 2009

आज सोचा के क्या लिखू,
दर्द-ऐ-दिल का बयाँ लिखू,
तेरी बेवफाई की सदा लिखू,
या अपनी मोहोब्बत की इन्तेहा लिखू!

Wednesday, August 5, 2009

ज़िन्दगी ......तेरे बिन!!!

आज ज़िन्दगी वीरान सी है,
तेरे बिन अनजान सी है,
गुम हो गई हो तुम किन गलियों में,
ये सोच सोच कर हो गई बेजान सी है!

शायद मेरी ही कोई खता हो,
पर मुझको इतना तो बता दो,
खता की सज़ा मौत दी होती,
पर ये ज़िन्दगी तेरे बिन बर्दाश्त नही होती!

अब इस दिल में दर्द नही होता,
लगता है कि अब दिल नही रोता,
काश इस सीने में दिल ही ना होता,
तो तेरी मोहोब्बत में न खोता!

अब आँख के आसू सूख गए हैं,
अब दिल के अरमा रूठ गए हैं,
अब कोई मन को भाता नही है,
अब कोई इतना करीब आता नही है!

तुम मेरी मोहोब्बत कि इब्तेदा थी,
तुम्ही मेरी मोहोब्बत कि इंताहा हो,
तुम्ही से शुरू हुई जो मोहोब्बत,
तुम्हारे ही नाम पे वो फ़िदा हो!

मैं सदा चाहूँगा तुम्हे ख़ुद से बढ़कर,
खुदा से माँगूगा तुम्हे हर शे से बढ़कर,
अगर मेरी मोहोब्बत में है सच्चाई रत्ती भर,
तो तुम आओगी मेरे ही घर!!!

Sunday, May 3, 2009

हाल-ए-दिल लफ्जों में बया करते हो, तो महबूबा का नाम बताने से क्यों डरते हो!
नूर-ए-इश्क छुपाए नहीं छुपता, तो शम्मा को बेपर्दा करने से क्यों डरते हो?

Friday, February 13, 2009

तजवीज़-ए- इज़हार-ए-मोहोब्बत है ये तरीका, दुनिया के हर इल्म से बढ़कर है ये तरीका...