नाराजगी तुम्हारी हम सह न पाएँगे, अभी तो जिंदा हैं, दो शब् न रह पाएँगे, दो दिन की दूरी ने कर दिया है दीवाना हमको, चार दिन में तो कब्रिस्तान पोहोंच जाएँगे..
Understanding the world in general & corporate in particular.
तेरे जहाँ में ऐसा नहीं कि प्यार न हो,
जहाँ उम्मीद हो इसकी, वहाँ नहीं मिलता,
कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता,
कहीं ज़मीन तो कहीं आसमान नहीं मिलता|
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