नाराजगी तुम्हारी हम सह न पाएँगे,
अभी तो जिंदा हैं, दो शब् न रह पाएँगे,
दो दिन की दूरी ने कर दिया है दीवाना हमको,
चार दिन में तो कब्रिस्तान पोहोंच जाएँगे..
Tuesday, November 17, 2009
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This blog is a collection of my poems