Sunday, September 28, 2008

रौशनी को मेरा पता बता गया कोई!

एक उम्मीद सी जगा गया कोई,
मुझे इक नयी राह दिखा गया कोई,
मैं शायद अंधेरो में गुम रहता,
रौशनी को मेरा पता बता गया कोई!

तमाशा इस जहां का देखे हम जाते थे,
अपने ही आप में जीए हम जाते थे,
इस नाचीज़ को फलक पे बिठा गया कोई,
रौशनी को मेरा पता बता गया कोई!

इस दिल को धड़कने की आदत न थी,
नज़र को किसी की चाहत न थी,
नजरो के रस्ते इस दिल में समा गया कोई,
रौशनी को मेरा पता बता गया कोई!

अब नूर उसी का छाया है,
इस दिल में वही समाया है,
छनक के वो सामने मेरे आया है,
रौशनी को मेरा पता उसी ने बताया है!

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