ज़िन्दगी के झमेलों से,
दुनिया के मेलो से,
इन सभी रेलों से दूर,
आओ बैठें, कुछ बात करें!
रोज़ी के ख्यालों से,
रोटी के सवालो से,
पैसे की इन टकसालों से दूर,
आओ बैठें, कुछ बात करें!
शहर की इस भीड़ से,
ईंटों के इस नीड़ से,
गाडियों के इस शोर से कहीं दूर,
आओ बैठें, कुछ बात करें!
बोहोत दिन हुए हमें आए,
शायद ही हम कभी करीब आए,
इन दीवारों से कहीं दूर,
आओ बैठें, कुछ बात करें!
Subscribe to:
Post Comments (Atom)

No comments:
Post a Comment